Tuesday, March 23, 2010

अंग्रेजी कैलेंडर

जिसे हम बोल चाल में अंग्रेजी कैलेंडर कहते है उसका प्राराम्मिक नाम जुलियन कैलेंडर था। जुलियन कैलेंडर को जुलिउस सीजर ने सन ४५ ई॰ पू॰ चलाया था। इस कैलेंडर में एक वर्ष की अबधि ३६५.२५ दिनों की थी। जो मिश्र के कैलेंडर से ली गई थी। भारत में प्रचलित ३६५.२५६४ दिनों का नक्षत्र वर्ष कैलेंडर तथा ३६५.२४२२ के अयन वर्ष से यह कैलेंडर भिन्न था। इसमें १२८ वर्ष में एक दिन का अंतर आ जाता था
ईसाई धर्म ग्रंथो में ईसा के पुनर्जीवित होने की घटना का वर्णन है। उसमे यह उल्लेख है कि जिस दिन ईसा पुनर्जीवित हुए उस दिन दिन और रात बराबर थे। सन ३२५ ई॰ में ईसा के पुनर्जीवित होने के दिन की खोज हुई। २१ मार्च को दिन और रात बराबर थे इसलिए इसे विर्नल एकुइनोक्स डे घोषित कर दिया।
सन १९८२ ई॰ में पोप ग्रेगरी ने यह पता चलाया कि २१ मार्च सन १५८२ को दिन रात बराबर नहीं हैं वह तो १० दिन पहले ही निकल चुका है। जुलियन कैलेंडर में यह अंतर अयन वर्ष की अवधि से मेल न होने के कारण आया था। यह अंतर एक वर्ष मे०.००७८ दिन का था। इस अंतर को समाप्त करने के लिये यदि जुलियन कैलेंडर जब से शुरू हुआ उसे आधार मानते तो सन १५८२ मे १२ दिन का अंतर आ रहा था एसी स्थिति में ११ से २२ मार्च तक की तिथियों का लोप करना पड़ता चूँकि २१ मार्च को विर्नल एकुइनोक्स डे घोषित किया जा चुका था इसलिए २१ मार्च को बचाने के लिये पोप ग्रेगरी ने सन ३२५ को आधार मान कर ४ अक्टूबर के अगले दिन १० तारीखों का लोप कर १५ अक्टूबर १५८२ का दिन घोषित किया। इस संशोधित कैलेंडर को ही ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है
पोप ग्रेगरी के इस संशोधित कैलेंडर को केथलीकों ने तो तत्काल स्वीकार कर लिया था लेकिन Protestent ने जिसमे बिट्रेन भी शामिल है ने १७० साल बाद सन १७५२ में स्वीकार किया। उन्होंने २ सितम्बर सन १७५२ के अगले दिन ११ तारीखों का लोप कर १४ सितम्बर सन १७५२ की तारीख नियत की।
अंगरेजी कैलेण्डर की इस उठा पटक का परिणाम यह हुआ की १८वी सदी के पूर्व की भारतीय इतिहास की सारी तिथियाँ गढ़बढ़ा गईं।

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