मुग़ल शासन काल में जहाँगीरी सिक्कों का अपना एक अलग महत्व है। वो देखने में सुन्दर तथा शुद्धता की द्रष्टि में विश्वसनीय थे। जहांगीर ने सोने, चंदे और ताम्बे के सिक्के ढलवाये तथा हर बजन के सिक्कों का अलग-अलग नाम रखा। उसने अपने शासन के अंतिम दसक में नूरजहाँ के नाम के सिक्के भी ढलवाए।
जहांगीर का सोने का सबसे बढ़ा सिक्का १०० तोले का था जो १ किलो १६३ ग्राम बजन के बराबर है। उसका नाम नूर-ऐ-शाही था। आज के बाजार भाव से १ किलो १६३ ग्राम सोने का मूल्य १९ लाख २० हजार रुपया होता है। इसके अलावा ५० तोले का नूर-इ-सुलतानी, २० तोले का नूर- इ-दौलत १० तोले का नूर-इ-करम। ५ तोले का नूर-ऐ-मिहर, १ तोले का नूरे-जहांत, १/२ तोले का रवानी सिक्का था।
जहांगीर ने चांदी के सिक्के भी ढलवाए तथा उनके अलग-अलग नाम थे। १०० तोले का सिक्का कोकाबा-ऐ-ताली, ५० तोला का कोकाबा-ऐ-बख्त, १० तोले का खैर-ऐ-काबुल ५ तोले का कौकाब-ऐ-साद, १ तोला का जहाँगीरी, १/२ तोला का सुल्तानी, तथा १/४ तोला का एशायारी था।
Friday, March 12, 2010
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Badi achhee jankari mili!
ReplyDeleteYe jankaree hame nahi thee...swagat hai!
ReplyDeleteWelcome to the world of Blogging.
ReplyDeleteRegards
Dr. Chandrajiit Singh
Rewa (MP)
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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